हेलो दोस्तों, आज मैं एक बार फिर से आप लोगो के लिए अपनी एक नई पोस्ट और नई कहानी लेकर हाजिर हो गया हूँ. अभी तक मैंने आपको बहुत सारी कहानियां सुनाई है जो प्यार महोब्बत को लेकर थी लेकिन मेरी आज की ये कहानी इन सब से बहुत अलग ही है. इसलिए मेरी इस कहानी को ध्यान से पढियेगा. तो ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए सीधा कहानी पर आते है.
मैंने आपको अपनी पिछली पोस्ट में कुछ कहानियां सुनाई थी जिनको अगर आपने अभी तक नहीं पढ़ा है तो उन सब कहानियों का लिंक मैं यहाँ पर दे रहा हूँ. आप लिंक पर Click करके मेरी वो कहानियां पढ़ सकते है.
1 . निधि ( एक बच्ची की आत्मकथा )
2 . एक अजनबी ( दो अजनबियों की अजीब प्रेम कहानी )
3 . बारिश ( एक अधूरी प्रेम कहानी )
इन लिंक पर Click करके आप मेरी ये कहानियां पढ़ सकते है. फिलहाल अब मैं अपनी एक नई Story शुरू करने जा रहा हूँ. मेरी ये कहानी केवल एक कहानी नहीं है बल्कि ये एक सिख भी देती है. इसलिए मैं आप सबसे बार बार प्रार्थना कर रहा हूँ की मेरी इस कहानी को ध्यानपूर्वक पढियेगा. तो चलिए शुरू करते है है हम आज की नई Story
नीलम अपने पति के साथ खाना खा रही होती है. दोनों में हसी मजाक चल रहा होता है. मजाक मजाक में कोई बात ऐसी हो जाती है कि दोनों में बहस शुरू हो जाती है और वो बहस इतनी बढ़ जाती है कि सुरेश ( नीलम का पति ) नीलम को थप्पड़ मार देता है और गुस्से गुस्से में खाना छोड़ कर अपने Office चला जाता है . अब नीलम अकेले घर पर बैठ कर रो रही होती है .
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थोड़ी देर रोने के बाद जब उसका मन शांत होता है तो वो अपने मायके में फ़ोन लगाती है . मायके में माँ फ़ोन उठाती है .
माँ :- हेलो
नीलम :- रोना शुरू कर देती है
माँ :- क्या हुआ बेटी
नीलम :- माँ मैं घर पर आ रही हूँ, आज मेरा उनसे झगड़ा हो गया है . मैंने अपना सारा सामान पैक कर लिया है. मैं घर पर आ रही हूँ माँ.
दूसरी तरफ से माँ सीधा जवाब देती है, चुपचाप वही पर बैठी रह, अब ये तेरा घर नहीं है कि जब मन चाहे यहां आ जाएगी. चुपचाप अपने पति से सुलह कर ले. अब वही तेरा घर है. पहले तेरी बहन भी ऐसे ही अपने पति से लड़ झगड़ कर यहाँ आयी थी और बात इतनी आगे बढ़ गयी थी कि अब उसका तलाक हो गया है. अब तू बह वही कर रही है. यहां आने कि सोचना भी मत. लड़ झगड़ कर अगर तू आना चाहती है तो मेरे घर के दरवाजे तेरे लिए हमेशा के लिए बंद है.
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माँ कि बात अभी पूरी हुई ही नहीं थी कि नीलम ने गुस्से में Phone काट दिया. अब माँ भी मेरी नहीं रही, ऐसा बड़बड़ा कर फिर से रोने लगी. अब दोपहर हो चुकी थी, जब रो रो कर मन हल्का हुआ तो पाया कि सारी गलती सुरेश कि नहीं थी . कुछ गलती अपनी भी थी. अब नीलम शान का खाना त्यार करने में लग गयी. खाने में सुरेश कि मनपसंद डिश खीर बनाई गयी और साथ में आलू के परांठे भी बनाये गए जो सुरेश को बहुत पसंद थे. शांम के 6 बज चुके थे. सुरेश ने घर की घंटी बजाई. नीलम ने एक प्यारी सी मुस्कराहट के साथ दरवाजा खोला और चुपचाप अपने काम में लग गयी.
सुरेश को सब कुछ बड़ा अजीब लग रहा था क्योकि नीलम ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो. अब रात के 8 बज गए थे. नीलम ने रात के खाने के लिए सुरेश को बुलाया, फिर बड़े ही प्यार से नीलम ने सुरेश को पहले आलू के परांठे परोसे और बाद में खीर परोस कर दी. सब कुछ बड़ा ही शांत चल रहा था. नीलम कुछ कहने ही वाली थी कि सुरेश पहले बोल पड़ा.
Sorry नीलम, सारी गलती तुम्हारी भी नहीं थी. Office में इतनी Tension हो जाती है कि कभी कभी घर में भी छोटी से बात पर गुस्सा आ ही जाता है. आखिर मैं भी एक इंसान ही हूँ. अब सुरेश यहां पर अपनी गलती बता रहा था और नीलम मन ही मन में अपनी माँ का धन्यवाद कर रही थी. नीलम अपनी माँ की बातो में ऐसे खो गयी थी मानो वो सुरेश की बातो पर ध्यान ही ना दे रही हो. तभी सुरेश ने नीलम के गालो पर हल्का सा थपाद मर कर उसे माँ के ख़याल से बहार निकालते हुए पूछा कहाँ खो गयी थी. नीलम ने मुस्कराते हुए कहाँ कि नहीं जी, गलती मेरी थी. सुरेश इतने में ही बोल पड़ा कि नहीं, गलती मेरी थी. अब दोनों फिर से अपनी अपनी गलती बताते हुए फिर से लड़ने लग गए लेकिन इस बार इनकी लड़ाई ने प्यार कि झलक दिख रही थी.
कहानी तो यही पर ख़तम हो गयी है. लेकिन अब मेरा आप सब से एक सवाल ये है कि इस कहानी से हमे सिख क्या मिलती है. अपनी अपनी राय मुझे Comment Box में Comment कर दीजिये और साथ में मुझे ये भी बताये कि आपको मेरी आज कि ये अलग कहानी कैसी लगी. मुझे आपकी Comment का इंतज़ार रहेगा. मैं एक बार फिर से आप लोगो के लिए अपनी एक नई पोस्ट और एक नई कहानी लेकर जल्दी ही हाजिर होऊंगा. धन्यवाद
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maa or beti, bahu or sasuraal, beti or uske sasuraal ki kahani, ek bahut achi kahani, very useful story, nice story, bahut achi kahani
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