Sunday, 25 November 2018

निधि ( एक बच्ची की आत्मकथा )


हेलो दोस्तों, आज मैं आपके सामने एक ऐसे कहानी लेकर आया हूँ जिसे पढ़ कर आपकी आँखों में पानी आ जायेगा. आज मैं आपको एक बच्ची की आत्मकथा सुनाने जा रहा हूँ और साथ में एक सन्देश भी दे रहा हूँ तो चलिए हम अपनी आज की कहानी को शरूर करते है. इससे पहले मैं आप लोगो को बारिश ( एक अधूरी प्रेम kahani ) और दो अजनबी ( एक अजीब प्रेम कहानी ) लिख चूका हूँ. अगर आप लोगो ने मेरी वो कहानी अभी तक नहीं पढ़ी है तो आप मेरी कहानी लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हो.

सुबह के 7 बज रहे थे और निधि बड़े साहस के साथ अपने मम्मी के Bedroom में जा रही थी. उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो मम्मी पापा बेसुध होकर सो रहे थे. निधि दरवाजा बंद करके वापस अपने कमरे की ओर चल पड़ी. अपने कमरे में जाकर निधि ने अपना स्कूल बैग तांगा और स्कूल के बहार जाने लगी. तभी पीछे से सुमन ( घर में काम करने वाली ) ने पीछे से आवाज दी. निधि बेटा परांठे बना दिए है नाश्ता तो करते जाओ. तब निधि ने जवाब दिया, नहीं सुमन आंटी भूख नहीं है. सुमन आंटी ने कहा. तो स्कूल में ले जाओ , वहा जाकर खा लेना. निधि ने ना में सिर हिला दिया लेकिन सुमन आंटी ने तब जबरदस्ती परांठे टिफिन में डाल निधि के स्कूल बैग में डाल दिए. अब निधि की स्कूल बस भी आ चुकी थी. निधि बस में बैठ कर अपने स्कूल की तरफ चल पड़ी.

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निधि के मम्मी पापा एक बड़ी company में job करते थे. दोनों के बीच काफी समय से मनमुटाव चल रहा था . निधि के पापा और मम्मी आपस में तलाक चाहते थे. तलाक के बाद निधि किसके पास रहेगी इस बात को लेकर उन दोनों में कई बार झगडे भी हुआ करते थे. दोनों में से कोई भी निधि को अपने पास नहीं रखना चाहता था. सुबह के 10 बज चुके थे. निधि के मम्मी पापा दोनों job पर जाने के लिए तैयार हो ही रहे थे कि निधि के स्कूल से फ़ोन आ जाता है कि निधि स्कूल में सीढ़ियों से गिर गयी है और उसे काफी चोट आयी है.

दोनों फटाफट स्कूल कि तरफ भागते है. वहाँ जाकर मालूम होता है कि निधि कि किसी private hospital में भर्ती कराया गया है. दोनों hospital जाते है और वहाँ उन्हें बताया जाता है कि निधि की मौत हो गयी है. दोनों को सदमा सा लग जाता है. मानो जैसे पैरो तले जमीन खिसक गयी हो. कुछ दिनों बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर मम्मी निधि के कमरे में जाती है. तो वहा निधि का स्कूल बैग बिस्तर पर पड़ा होता है. कुछ खिलोने यहाँ वहाँ बिखरे हुए होते है. फिर वो निधि की अलमारी खोलती है. जैसे ही अलमारी खोलती है तो अलमारी से खुश कपडे और एक डायरी गिर जाती है. मम्मी डायरी को खोल कर पढ़ने लगती है जिसमे कुछ ये लिखा होता है.


पहले पेज पर लिखा था:-
मम्मी पापा मैं आप सब से बहुत प्यार करती हूँ. लेकिन आप लोगो के पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है. आज मैं पुरे 10 साल की हो गयी हूँ लेकिन आप लोगो को मेरा Birthday तक भी याद नहीं है. मुझे आज भी याद है कि आपने आखिरी बार मुझे Birthday wish तब किया तह जब मैं  4 साल की हुई थी. उसके बाद मुझे याद नहीं की आपने कब मुझे Birthday wish किया हो.

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दूसरे पेज पर लिखा था:-
जब मैं अपने मौसी के घर जाती हूँ तो वो मुझे बहुत मुझे प्यार करते है वो मुझे अपने साथ बाहर  घुमाने ले जाते है और आइसक्रीम खिलते है. जब वो मुझे अपने साथ बाहर घुमाने ले कर जा सकते है तो आप क्यों नहीं.

तीसरे पेज पर लिखा था:-
मम्मी पापा मुझे मेरी बुआ भी बहुत प्यार करती है लेकिन वो खाना नक्ष की पसंद का बनाती है.  मम्मी मुझे भी राजमा बहुत पसंद है. मैंने आपको बहुत बार बोला कि राजमा खिला दो लेकिन आप बोलते हो कि मेरे पास समय नहीं है. जो खाना है वो सुमन आंटी को बोल दो. मालूम है मम्मी मैंने राजमा खाना छोड़ दिया है.

जैसे जैसे पेज पलट रही थी वैसे वैसे आँखों से आंसू भी ज्यादा गिर रहे थे. अब माँ की ममता ने जनम ले लिया था. अब मम्मी को लग रहा था कि निधि सीढ़ियों से गिर कर नहीं बल्कि हमारे द्वारा दिए गए मानसिक पीड़ा से मरी है. वो इस दर्द से आज़ाद होना चाहती थी. बड़ी हिम्मत करके मम्मी ने डायरी का अगला पेज पलटती है.

चौथे पेज पर लिखा था
thank you पड़ोस वाली आंटी. मेरे हर मुश्किल में साथ देने के लिए. मुझे इतना प्यार देने के लिए. जब भी मुझे चोट लगती तो आप ने ही मेरी देखभाल की है. आप ही ने मेरे सर सहला कर मुझे अपनी गोद में सुलाया है. मुझे याद ही नहीं कि मम्मी पापा ने मुझे कभी अपनी गोद में सुलाया हो.

मम्मी डायरी का अगला पेज पलटती ही वाली होती है इससे पहले ही पापा भी निधि के कमरे में आ जाते है. मम्मी पापा के सीने से लग कर रोने लगती है और बोलती है निखिल निधि सीढ़ियों से गिर कर नहीं मरी बल्कि वो हमारे कारण मानसिक तनाव में थी. वो हमसे दूर जाना चाहती थी. निखिल को जैसे झटका सा लगता है. निखिल ये दुर्घटना नहीं मर्डर है. हम दोनों ने निधि को मारा है.


कुछ देर बाद सुमन ( घर में काम करने वाली ) भी आ जाती है और बोलती है कि मैडम अब मैं इस घर में काम करने नहीं आउंगी. इस घर में निधि कि यादें बसी है. जब भी इस घर में आती हूँ तो उसकी यादें मुझे बहुत सताती है इसलिए मैं यहाँ से जा रही हूँ लेकिन जाते जाते एक बोलूंगी. मैडम निधि सीढ़ियों से नहीं गिरी बल्कि आप दोनों ने उसे मारा है. सुमन के ये शब्द मम्मी पापा के दिल पर जा लगे और उन्हें अब अपनी गलती का एहसास हो रहा था. लेकिन अब उनके पास आंसू के अलावा और कुछ नहीं था.

इस कहानी से एक सन्देश आप लोगो को मिलता है कि अगर आप अपने बच्चो को प्यार नहीं दे सकते तो आपको बच्चे पैदा करने का कोई हक़ नहीं है. इसलिए अपने बच्चो को जितना हो सके उतना प्यार दो. उनके साथ समय बिताओ. अगर आप कहीं job भी करते हो तो भी थोड़ा समय अपने बच्चो के साथ जरूर बिताये और उनके दिल का हाल पूछे.

तो दोस्तों आपको मेरी आज कि ये कहानी कैसे लगी . कृपया करके comment जरूर करे. अगर आपको मेरी ये कहानी पसंद आती है तो इस कहानी को शेयर करना न भूले. मैं एक बार फिर से अपनी एक नई कहानी लेकर आप लोगो के साथ फिर से हाजिर होऊंगा लेकिन तब तक के लिए . धन्यवाद

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