हेलो दोस्तों, आज मैं आपके सामने एक ऐसी अजनबी Love Story लेकर आ रहा हूँ जिसे पढ़ कर आपका दिल खुश हो जायेगा. दोस्तों अगर आपको मेरी आज की ये Love Story अच्छी लगती है तो Comment jarur कीजियेगा. तो चलिए ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए सीधे हम अपनी Love Story पर आते है . इससे पहले मैंने आपको बारिश ( एक अधूरी प्रेम कहानी ) सूना चूका हूँ तो चलिए आज दो अजनबियों की प्रेम कहानी सुनते है
Train के Reservation डब्बे में वो बाथरूम के साथ वाली शीट पर बैठी थी. मैं बार बार कोशिश कर रहा था की उसका चेहरा देख स्कू लेकिन हर बार असफल रहा. मैं उसकी शीट से 2 शीट छोड़ कर बैठा था. कुछ देर बाद वो Train Window पर हाथ रख कर सो गयी और मैं भी अपनी किताब पढ़ने में लग गया.
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थोड़ी देर बाद जब मैंने फिर मुड़ कर उसे देखने की कोशिश की तो वो उसके चेहरे से साफ़ मालूम हो रहा था की उसके पास Reservation Ticket नहीं थी. बार बार वो पीछे मुड़ मुड़ कर देख रही थी की टी.सी आ जाये तो उससे कुछ पैसे देकर सेटिंग कर ले. चेहरे से थोड़ी बहुत घबराई हुई भी लग रही थी. उसका मासूम चेहरा मुझे उसकी तरफ आकर्षित कर रहा था. शायद उसे ज्यादा दूर भी नहीं जाना था.
मैं ये सब सोच ही रहा था की इतनी ही देर में टी.सी. आ गया और सबसे पहले उसी की शीट होने के कारण उसका ही Ticket चेक करने लगा. उसके चेहरे पर डर और घबराहट अब साफ़ झलक रहा था. टी.सी. ने टिकट दिखाने को बोला तो वो लड़खड़ाते हुए शब्दों में बोली. सर टिकट तो नहीं है मेरे पास, लेकिन जनरल की टिकट है . जनरल में शीट नहीं मिली तो इसलिए इस Reservation डब्बे में आ बैठी. ज्यादा दूर भी नहीं जाना है. अगर आप कहो तो अगले स्टेशन पर जनरल डब्बे में जाकर बैठ जाउंगी.
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टी.सी. ने कहा. मैडम आपको फाइन देना होगा. तो इस बात पर लड़की ने साहस करते हुए बोला . कितना फाइन देना होगा. टी.सी. ने 500 रूपए कहा. लड़की बोली. सर, इतने पैसे तो नहीं है मेरे पास लेकिन ये 100 रूपए है आप ये रख लीजिये. इतना कहकर वो रोने भी लग गयी. उस वक़्त वो बहुत ही मासूम लग रही थी. टी.सी. ने उससे 100 रूपए ले लिए और उसे दिल्ली तक इसी डब्बे में जाने की अनुमति भी दे दी.
अब वो पहले अपने आंसू पोंछ रही थी और इधर उधर देख रही थी कोई उसकी इस हालत पर हंस तो नहीं रहा है. अब उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे और उसकी हालत देख कर लग रहा था की शायद उसने 2 दिन से कुछ खाया पिया भी नहीं है. मैं उसकी मदद करना चाहता था लेकन एक अजनबी का इस तरह से मदद करना शायद मुझे ठीक न लगा और शायद उसे भी अच्छा नहीं लगता.
फिर मैं उसकी मदद करने के उपाय ढूंढने लग गया. कुछ देर बाद एक खत लिखा जिसमे मैंने लिखा की इस तरह एक अजनबी होकर मदद करना शायद आपको अच्छा न लगे लेकिन मैं कई देर से आपको देख रहा था और मुझे मालूम हो गया है की आपके पास पैसे नहीं है और शायद आपको पैसे की बहुत जरुरत है इसलिए 500 रूपए मैं खत के साथ भेज रहा हु. लेकिन आपको ये सब गलत न लगे इसलिए खत में अपने घर का पता भी लिख रहा हूँ. जब आपके पास पैसे हो तो मुझे लौटा देना.
मैंने ये सब एक चाय बेचने वाले बच्चे के हाथ उस लड़की को देने के लिए बोला. और ये सब किसने दिया ये ना बताने को भी बोल दिया. जैसे ही लड़की को खत मिला और उसने जब वो पढ़ा तो उसने इधर उधर सिर घुमा कर देखा कि कहीं कोई उसकी तरफ देख रहा हो तो उसे मालूम हो जाए की ये सब किसने दिया है लेकिन मैं अपने मुँह पर चादर डाल कर बैठा था जिससे उसे कुछ भी मालूम ना हुआ.
कुछ देर बाद मैंने धीरे से चादर का कोना सरका कर उसकी तरफ देखा तो अब उसके चेहरे पर सुकून था. और उसकी नजरें अभी भी उस अजनबी को तलाश रही थी. फिर मैं चादर ओढ़ कर सो गया. जब नींद खुली तो वो अपनी शीट पर नहीं थी. गाडी अभी भी दिल्ली स्टेशन पर खड़ी थी. उसकी शीट पर नजर पड़ी तो एक खत पड़ा था. मैंने जल्दी से उस खत को उठा लिया और पढ़ने लगा.
उसमे लिखा था. आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आज मुझे इस पैसो की बहुत जरुरत थी. मेरी माँ आज मुझे छोड़ कर चली गयी है. आपके इन पैसो से मैं मेरी माँ को शमशान तक जाने से पहले देख सकूंगी. मैं आपके ये पैसे जल्दी ही वापस कर दूंगी. तब से मैं हर रोज डाकिये से पूछने लग गया की कहीं कोई खत मेरे नाम तो नहीं आया है.
और आज एक साल बाद मुझे खत मिला जिसमे लिखा था कि मैं आपके दिए हुए पैसे आपको वापस लौटाना चाहती हूं लेकिन डाक द्वारा भेज कर नही बल्कि आपसे मिलकर। उसके बाद उसका फ़ोन नंबर लिखा हुआ था और सबसे नीचे आखिर में लिखा था, तुम्हारी प्रिय अजनबी
तो दोस्तो, हमारी ये कहानी यहीं खत्म होती है, अगर आपको मेरी ये कहानी पसंद आई हो तो comment ओर share करना मत भूलियेगा, मैं आप लोगो के लिए ऐसी ही नई नई प्रेम कहानी लाता रहूंगा, धन्यवाद।
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ek prem kahani, a true love story, do ajnabiyo ki prem kahani,
1 comment:
Nice
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